कानपुर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि अगर सरकार के कदम डगमगाते दिखेंगे तो संघ की ओर से उन्हें सकारात्मक पहल के दृष्किोण से सलाह व सुझाव दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुनकर आते हैं, उनके पास अधिकार अधिक होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इनका कहीं गलत उपयोग किया जाए।
आरएसएस प्रमुख रविवार को यहां बौद्धिक सत्र के दूसरे दिन स्वयंसेवकों को आदर्शवाद की शिक्षा दे रहे थे। शनिवार को कानपुर पहुंचे संघ प्रमुख ने दूसरे दिन की शुरुआत सुबह साढ़े पांच बजे शाखा जाकर की। इसके बाद11.15 बजे से संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ उन्होंने बौद्धिक सत्र को संबोधित किया। इस दौरान कहा कि हमें कभी अहंकार नहीं करना है, चाहे कितना अच्छा काम किया हो या फिर दूसरों की मदद। किसी को उपकृत कर उससे लाभ नहीं लेने की प्रवृत्ति सभी में होनी चाहिए। अपनों से हमेशा सकारात्मक रुख रखें। किसी बात से कोई निराशा हुई हो तो उसको साझा करें।
आरएसएस प्रमुख भागवत ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि मैं संघ का केंद्र नागपुर से दिल्ली बना सकता था लेकिन, ऐसा न करना ज्यादा बेहतर रहा। उन्होंने कहा कि संघ के कार्यों का विस्तार होने के साथ ही स्वयंसेवकों का मान बढ़ा, यह जानकर खुशी हुई।
आरएसएस प्रमुख ने सुनाया ‘गुरु जी’ का किस्सा
स्वयंसेवकों के समक्ष मोहन भागवत ने गुरुजी यानी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर का किस्सा सुनाया। कहा, गुरुजी जबलपुर में रामवन गए थे। वहां उन्होंने विजिटर बुक में लिखा था कि ‘राम वन आइए, राम बन जाइए’। इसका अर्थ बताते हुए कहा कि जैसा स्थान हो, वहां अपने स्वभाव को उसी के अनुरूप ढाल लेना चाहिए।
