भोपाल। सेंटियागो (चिली) में इंटरपोल द्वारा आयोजित कान्फ्रेंस में इस बार विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी जैसे भगोड़ों को दबोचने की पुख्ता रणनीति बनेगी। आतंकवाद, बैंक फ्रॉड, सायबर क्राइम और संगठित अपराधों पर अंकुश लगाने सभी देशों के पुलिस व सुरक्षा अधिकारी विचार मंथन करेंगे। 15 से 18 अक्टूबर तक हो रही 88वीं इंटरपोल जनरल असेंबली में सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला सहित मध्यप्रदेश कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इंटरपोल के तत्वावधान में होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में इस साल भारत का फोकस देश के भगोड़ों को दबोचने दूसरे देशों के साथ आम सहमति बनाने पर रहेगा।
साथ ही इंटरपोल की नीतियों को ज्यादा सशक्त बनाने पर भी जोर रहेगा। इसके लिए इंटरपोल के जरिए दूसरे देशों के कानूनों की पैचीदगियों पर भी चर्चा होगी। गंभीर किस्म के अपराधों में एक देश के अपराधी संबंधित देश को सौंपने का रास्ता भी ढूंढा जाएगा। राजनीतिक उत्पीड़न की आड़ में कानून से भागने वालों को दंडित कराने पर भी विचार-विमर्श होगा। भारत में आतंकी कार्रवाई एवं वित्तीय अपराध कर दुनिया के दूसरे देशों में छिपकर बैठे लोगों की इंटरपोल के पास लंबी सूची मौजूद है।
मप्र के लिए गौरव
मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव का विषय है कि इंटरपोल की इस महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस के लिए भारत से चयनित पांच पुलिस अफसरों में से तीन मप्र कैडर के हैं। इनमें सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला, मप्र के डीजीपी वीके सिंह एवं सीबीआई में तैनात मप्र कैडर के साईं मनोहर शामिल हैं। इनके अलावा दिल्ली पुलिस कमिश्नर एवं पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के एक अन्य अफसर भी हैं। कॉन्फ्रेंस की महत्ता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआई निदेशक जैसा महत्वपूर्ण और अति व्यस्त अफसर आठ-नौ दिन देश से बाहर है।
रेड कार्नर नोटिस
दूसरे देशों में कानून तोड़कर भागे लोगों को पकड़कर संबंधित देश को सौंपने के लिए इंटरपोल की मदद से ही ‘रेड कार्नर’ सहित अलग-अलग रंग के नोटिस जारी होते हैं। भारत से भागे किसी भी अपराधी पर कार्रवाई के लिए सीबीआई ही समन्वय करती है। महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी के आधार पर अन्य देशों में इंटरपोल तत्काल कार्रवाई कराता है। वर्ल्डकप अथवा अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों की सुरक्षा में भी इंटरपोल की भूमिका रहती है। उल्लेखनीय है कि सभी देशों की पुलिस एजेंसियों के बीच तालमेल बनाने के लिए ही इंटरपोल का गठन हुआ है। इस समय इंटरपोल के झंडे तले करीब 190 देशों की पुलिस बतौर सदस्य मौजूद है। इन देशों के बीच आपराधिक डाटा ‘शेयर” भी हो रहा है।